अब पैसे या किसी की मज‍बूरी से नहीं खरीद सकेंगे किराए की कोख

अब पैसे या किसी की मज‍बूरी से नहीं खरीद सकेंगे किराए की कोख

सेहतराग टीम

केंद्र सरकार ने अवैध सरोगेसी यानी किराए की कोख के अवैध कारोबार पर रोक लगाने वाले सरोगेसी विनियमन विधेयक, 2019 को सोमवार को लोकसभा से पारित करा दिया। गौरतलब है कि भारत में इस बारे में कोई सख्‍त कानून नहीं होने के कारण कई सारे नि:संतान विदेशी दंपति भारत आकर यहां गरीब महिलाओं को पैसे देकर गर्भधारण करवाते हैं और फ‍िर बच्‍चे के जन्‍म के बाद बच्‍चा लेकर अपने देश लौट जाते हैं। यही नहीं देश के भी कई अमीर मगर नि:संतान दंपति इस तरीके का इस्‍तेमाल बच्‍चा हासिल करने के लिए करते रहे हैं। अब केंद्र सरकार ने इस प्रैक्टिस पर पूरी तरह रोक लगाने की तैयारी कर ली है।

इस विधेयक का मकसद किराये की कोख के चलन (सरोगेसी) पर रोक लगाने, सरोगेसी पद्धति का दुरुपयोग रोकने के साथ-साथ कानूनी और वैध तरीके से नि:संतान दंपतियों को संतान का सुख दिलाना सुनिश्चित करना है।

निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस विधेयक में करीबी रिश्तेदार की परिभाषा पर व्यापक चर्चा की गई है। इस पर सभी पक्षकारों से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि विधेयक के संदर्भ में डॉक्टरों, महिलाओं, एनजीओ, राज्यों सहित विभिन्न पक्षकारों से चर्चा की गई। सरोगेसी क्लीनिकों के नियमन की सुदृढ़ व्यवस्था की गई है। इस संबंध में प्रमाणन के लिए एक उपयुक्त प्राधिकार बनाया जाएगा। इसमें किसी तरह की निजता का उल्लंघन नहीं होगा।

हर्षवर्धन ने कहा कि न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन, जापान, फिलीपीन, स्पेन, स्विट्जरलैंड और जर्मनी समेत अनेक देशों में व्यावसायिक सरोगेसी अवैध है। उन्होंने कहा कि केवल यूक्रेन, रूस और अमेरिका के कैलीफोर्निया प्रांत में यह वैध है।

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि विधेयक में भारत में किराये की कोख (सरोगेसी) के चलन पर प्रभावी तरीके से विनियमन का प्रस्ताव है। इसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर एक सरोगेसी बोर्ड और राज्य सरोगेसी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षो में भारत विभिन्न देशों के दंपतियों के लिये किराये की कोख के केंद्र के रूप में उभर कर आया है। अनैतिक व्यवहार, सरोगेट माताओं के शोषण, सरोगेसी से उत्पन्न बालकों के परित्याग और मानव भ्रूणों और युग्मकों के आयात की सूचित घटनाएं हुई हैं। पिछले कुछ वर्षो में विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रानिक संचार माध्यमों में भारत में वाणिज्यिक सरोगेसी की व्यापक भर्त्सना हुई है।

सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 अन्य बातों के साथ साथ राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सरोगेसी बोर्डो के गठन का उपबंध करता है। विधेयक के तहत अब अपनी कोख देने वाली मां को संतान चाहने वाले दंपति का निकट रिश्‍तेदार होना जरूरी होगा। साथ ही ऐसी मां को पहले से विवाहित होना और बच्‍चे की मां होना अनिवार्य होगा यानी कुंवारी युवतियों को इस कार्य के लिए इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
विधेयक के तहत कोई व्यक्ति, संगठन, सरोगेसी क्लीनिक, प्रयोगशाला या किसी भी किस्म का नैदानिक प्रतिष्ठापन वाणिज्यिक सरोगेसी के संबंध में विज्ञापन, वाणिज्यिक सरोगेसी के माध्यम से उत्पन्न बालक का परित्याग, सरोगेट माता का शोषण, मानव भ्रूण का विक्रय या सरोगेसी के मकसद से मानव भ्रूण का निर्यात नहीं करेगा।

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